विनायक चतुर्थी पर गणेशजी की पूजा दिन में दो बार की जाती है। एक बार दोपहर में और एक बार मध्याह्न में। पुराणों के अनुसार माना जाता है कि विनायकी चतुर्थी पर व्रत करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं। मनोकामनाएं पूरी होती हैं और समस्त सुख-सुविधाएं भी प्राप्त होती हैं।
वैसे तो विनायक चतुर्थी का व्रत हर महीने किया जाता है, लेकिन महत्वपूर्ण विनायक चतुर्थी भाद्रपद के महीने में होती है। जिसे गणेश चतुर्थी पर्व भी कहा जाता है। फिर भी फाल्गुन माह की विनायक चतुर्थी भी महत्वपूर्ण मानी गई हैं। जो कि इस बार 27 फरवरी यानी गुरुवार को पड़ रही है।
विनायक चतुर्थी व्रत पर क्या करें
- गणेश पूजन के बाद भोग लगाए प्रसाद में से कुछ गरीबों या ब्राह्मणों में बांट दें। यदि आप इस दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराते हैं और कुछ दान करते हैं तो भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।
- चतुर्थी व्रत में दिन भर उपवास रखें और शाम को भोजन ग्रहण करने से पूर्व गणेश चतुर्थी व्रत कथा, गणेश चालीसा आदि का पाठ जरूर करें।
- शाम को संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ और श्री गणेश की आरती करें। ॐ गणेशाय नम: मंत्र के जाप से अपने व्रत को पूर्ण करें।
व्रत की पौराणिक कथा
- एक बार माता पार्वती ने शिवजी के साथ चौपड़ खेलने की इच्छा जताई।
- शिवजी ने चौपड़ खेलना शुरू किया लेकिन इस खेल में मुश्किल थी कि हार-जीत का फैसला कौन करेगा। इसके लिए घास-फूस से एक बालक बना कर उसमें प्राण प्रतिष्ठा कर दी और कहा कि तुम हार-जीत का फैसला करना।
- इसके बाद तीन बार माता पार्वती जीतीं। लेकिन उस बालक ने कहा कि महादेव जीते। इस पर माता पार्वती को बहुत गुस्सा आया और उस बालक को कीचड़ में रहने का श्राप दिया।
- बालक के माफी मांगने पर माता पार्वती ने कहा कि एक साल बाद नागकन्याएं यहां आएंगी। उनके कहे अनुसार गणेश चतुर्थी का व्रत करने से तुम्हारे कष्ट दूर होंगे।
- इसके बाद उस बालक ने गणेश जी की उपासना की और भगवान गणेश प्रसन्न हो गए।
- गणेशजी ने उसे अपने माता-पिता यानी भगवान शिव-पार्वती को देखने के लिए कैलाश जाने का वरदान दिया।
- बालक कैलाश पहुंच गया। वहीं माता पार्वती को मनाने के लिए शिवजी ने भी 21 दिन तक गणेश व्रत किया और पार्वतीजी मान गईं।
- इसके बाद माता पार्वती ने भी अपने पुत्र से मिलने के लिए 21 दिन तक व्रत किया और उनकी यह इच्छा पूरी हो गयी।
- माना जाता है वो बालक ही भगवान कार्तिकेय हैं।
विनायक चतुर्थी का महत्व
- विनायक चतुर्थी पर श्री गणेश की पूजा दिन में दो बार की जाती है. एक बार दोपहर में और एक बार मध्याह्न में. मान्यता है कि विनायकी चतुर्थी के दिन व्रत करने और इस दिन गणेश की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि, आर्थिक संपन्नता के साथ-साथ ज्ञान एवं बुद्धि प्राप्ति होती है। चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा से सभी कार्य सिद्ध होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- विनायक चतुर्थी के बारे में मान्यता है कि इसके प्रभाव से जीवन में आ रही रुकावटें दूर हो जाती है। इसके अलावा इस व्रत को विधि-पूर्वक करने से मनोकामना पूरी होती है। इस दिन गणपति की पूजा करने से सुख-समृद्धि, धन-दौलत के साथ ही ज्ञान और बुद्धि की भी प्राप्ति होती है।